मैं तो मर जाऊंगा एक दिन...

मैं तो मर जाऊंगा एक दिन

मुझे पता नहीं, लोग मुझे

मरने के बाद याद करेंगे या नहीं।

याद कर भी लें तो ये कैसे जानेंगे

कि जिंदगी भर रोया था मैं

किसी की याद में।


वो मिली नहीं थी कभी मुझसे,

और मैं मर गया था उसकी याद में।

उसकी बातें, उसकी हंसी,

मेरे दिल में जैसे कोई चुभती हुई सुई।

हर रात मैं आसमान के सितारों में

उसका चेहरा ढूंढता रहा,

पर वो कभी नजर नहीं आई।


मेरे आंसुओं की गहराई

समझने वाला कोई नहीं था,

मेरे दिल के घावों का

मरहम कोई नहीं था।

वो परछाईं बनकर साथ चली,

लेकिन कभी सामने नहीं आई।


अब जब मैं न रहूं,

तो कौन जानेगा ये कहानी,

किसी की मोहब्बत में,

एक दीवाना कैसे हो गया कुर्बान।

मेरे अश्क गवाह हैं मेरी मोहब्बत के,

पर उन्हें कौन पढ़ेगा

इस वीराने की दीवारों के पीछे?


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