तुम्हारे साथ गुज़ारे हुए लम्हे...

 

तुम्हारे साथ गुज़ारे हुए लम्हे

तुम्हारे साथ गुज़ारे हुए वो हसीन पल,
दिल की गहराई में छिपे हैं जैसे कोई जल।
वो बातें, वो मुस्कान, वो धीमी सी बात,
हर याद में बसते हो तुम, हर रात।

तेरी आवाज़ की गूंज अब भी आती है,
सपनों में तेरी तस्वीर सजती जाती है।
मैं कैसे भूलूँ वो हाथों का स्पर्श,
जहाँ हर दर्द मिटा, हर ग़म का अंत।

वो शामें जो तेरे साथ रंगीन थीं,
हर सुबह तेरी यादों से नमकीन थीं।
तेरे बिना ये मौसम अधूरे से लगते,
फूल भी अब खुशबू से बिन तुम्हारे भटकते।

दिल की हर धड़कन में तेरा नाम गूँजता है,
तेरे बिन ये दिल भी वीराना सा लगता है।
मैं पागल हूँ शायद इस मोहब्बत में,
तेरी परछाई को भी देखूँ हर घड़ी इस राहत में।

मैं प्यार करता हूँ तुमसे ये इकरार है,
तेरे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी हर बार है।
मैं कैसे भूल जाऊँ वो गुज़रे हुए दिन,
जब हर सांस में तेरा एहसास बसा था हर पल।

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