तुम्हारे साथ गुज़रे हुए वक़्त...

 

तुम्हारे साथ गुज़रे हुए वक़्त

तुम्हारे साथ गुज़रे हुए पलों का सिलसिला,
मेरी यादों के हर कोने में है महका हुआ मिला।
वो बातें, वो मुस्कान, वो सपने सजाए,
हर एक लम्हा दिल की नज़र से न जाए।

तुम्हारी हँसी में था सूरज का एक नूर,
मेरी रातों का आख़िरी सितारा वही ज़रूर।
ज़िंदगी के हर मोड़ पर तुम्हारा साथ चाहा,
अब भी हर धड़कन में तेरा ही राज़ है छुपा।

मैं कैसे भूलूँ वो साए जो साथ चलते रहे,
दिल की हर गली में तुम्हारे क़दम पड़ते रहे।
तुम्हारी खुशबू में मेरी साँसों का बसेरा था,
हर धड़कन तुम्हारा तराना गुनगुनाता था।

मोहब्बत की वो कहानी अब भी लिखी है,
वक़्त के पन्नों पर तेरी यादों की तस्वीर दिखी है।
मैं कैसे भूलूँ वो बारिश के प्यारे पल,
जब तुम्हारे हाथों में था मेरा जीवन का कल।

दिल की किताब में तुम्हारा ही नाम लिखा है,
तुम्हारी बातों का गीत हर सपने ने सीखा है।
मैं प्यार करता हूँ तुमसे, ये मेरी हक़ीक़त है,
कैसे मिटाऊँ तुम्हारे नाम की हर तस्वीर अधूरी है।

मेरी हर सुबह में तुम्हारी मुस्कान जागी है,
हर शाम की तन्हाई में तुम्हारी याद बाकी है।
मैं कैसे जीऊँ तुम्हारे बिना ये सोचा नहीं,
मेरी ज़िंदगी का हर रंग तुम्हारे संग जोड़ा सही।

तुम हो, तो साँसें हैं, वरना सब ख़ामोश है,
मेरे सपनों का हर सफ़र तुम्हारे प्यार का दोष है।
मैं कैसे भूल जाऊँ तुम्हें, जब दिल से तुम्हें पुकारता हूँ,
तुम मेरी धड़कन में हो, तुम्हें कैसे दूर करता हूँ?

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