मुझे कुछ नहीं चाहिए ज़िंदगी में...
"मुझे कुछ नहीं चाहिए ज़िंदगी में
मैं अपनी ज़िंदगी जी चुका
मैंने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करता हूँ
उसने सुनकर अनसुना कर दिया
कोई ख़ास वजह तो नहीं कि मैं अपनी ज़िंदगी जीता रहूँ
ये जानते हुए भी कि मेरे होने न होने से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता उसे
बाकी तो सब कुछ पा चुका
खाने को खाना है
पहनने को कपड़ा
रहने को घर
इसमें कुछ नया तो हो नहीं सकता
जो चाहिए वो मिल नहीं सकता
तो ज़िंदगी रहे न रहे
कोई ख़ास मतलब तो नहीं
वैसे भी ज़िंदगी इस बात पर हमेशा तो नहीं जी जा सकती कि हर दिन हम नया सपना देखें और उसे पाने के लिए ज़िंदगी जीते रहें..."
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