तुम मेरे रास्ते के साथी क्यों नहीं बन जाते...
तुम मेरे रास्ते के साथी क्यों नहीं बन जाते,
हर मोड़ पर तुम मेरे पास क्यों नहीं आते।
चाँद की चाँदनी बनके राहों को सजाओ,
सितारों की तरह मेरे संग मुस्कुराओ।
सफर की तन्हाईयों में एक साथी सा हो,
हर दर्द में मेरे लिए राहत का पल हो।
धूल भरी राहों में खुशबू लुटा दो,
पत्थरों पर भी मखमल सा एहसास जगा दो।
तुम सर्द हवाओं में गर्मी का पैगाम बनो,
हर अंधेरे में जलता हुआ दीया बनो।
खो जाए अगर मंज़िल का हर निशान,
तुम मेरे कदमों की पहचान बनो।
हर सफर को आसान तुम कर दो,
हर सवाल का जवाब तुम बन दो।
जीवन के गीत का सुर बन जाओ,
हर ख्वाब की ताबीर तुम बन जाओ।
मैं एक पथिक, तुम मेरी मंज़िल बनो,
एक कहानी का अनकहा हिस्सा बनो।
तुम मेरे रास्तों में उजाले भर दो,
हर मोड़ पर एक नया ख्वाब कर दो।
तो आओ, मेरे संग अपना हाथ बढ़ाओ,
हर राह में मेरी ताकत बन जाओ।
तुम मेरे रास्ते के साथी बन जाओ,
हर कदम पर मेरे साथी बन जाओ।
रूपेश रंजन...
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