कितना समझते हैं स्त्री को पुरुष, उनके देह के परे..

कितना समझते हैं स्त्री को पुरुष, उनके देह के परे

1. चेहरा पढ़ा, मुस्कान में खो गए,
मन की परतों से दूर कहीं सो गए।
रूप का जादू तो हर कोई जानता है,
पर दर्द की चुप्पी को कौन पहचानता है।

2. उसने खुद को ख़्वाबों में तोड़ लिया,
हर रिश्ते के लिए खुद को जोड़ लिया।
पर पुरुष ने देखी बस बाहरी कहानी,
उसकी आत्मा रही फिर भी अनजानी।

3. वह बंधन है, वह आज़ादी का अहसास है,
हर क़ुर्बानी की वो अनकही बात है।
देह से परे वह सागर की गहराई है,
जिसे समझने की चाह कभी आई नहीं।

4. कब तक सिर्फ देह में उलझोगे तुम,
मन की धुन को सुन पाओगे कब?
जब देखोगे उसे दिल की नज़र से,
तभी जानोगे वह कितनी गहरी नदी है।

5. समझो उसे, उसके हर सपने को पढ़ो,
सिर्फ देह नहीं, उसकी रूह को पकड़ो।
तब देखोगे, वह जादू है, वह कहानी है,
पुरुष की दुनिया में, वह नयी कहानी है।

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