मेरा मुक्ति गीत...

 

मेरा मुक्ति गीत

मैं एक सपना था जो बंधन में सिमटा,
हर दर्द में घुटता, हर आंसू में डूबता।
पर अब, एक नया सूरज उगा है मन में,
यह मेरा मुक्ति गीत है, नया विश्वास बन में।

हवाओं में अब न कोई डर की गूंज,
चाँदनी में न कोई अंधेरे की पूंछ।
हर ख्वाब में अब है बिखरी रौशनी,
यह मेरा मुक्ति गीत है, मेरी नई जिंदगी।

जो जंजीरों ने बांध रखा था कभी,
आज उन्हीं से मैं मुक्त हो गया हूँ सभी।
हर आहट में अब खुद को पहचानता हूँ,
यह मेरा मुक्ति गीत है, हर सीमा को तोड़ता हूँ।

अब न कोई रुकावट, न कोई तड़प,
मैं खुला आसमान हूँ, उड़ता हूँ जैसे एक शेर का हलचल।
दुनिया से कह दो, अब मैं हूं अपने रास्ते,
यह मेरा मुक्ति गीत है, अब ना कोई बात अधूरी, बस पूरी है हर आस की सच्ची हस्ती।

Shaayari... 

मैं कुछ नहीं, तुम्हारे प्रेम के बिना,

जैसे सूनी हो धरा, बिना बादल के घना।

तेरी सांसों से मिलती है जीवन को रूह,

तेरे बिन अधूरी है हर सांस की धुन।


तेरी हंसी से मिलती है हर सुबह नई,

तेरी आँखों में बसती है रोशनी गहरी।

मैं तो बस एक दीप हूं बुझे हुए किनारे,

तुम हो जो जलाते हो, हर सपने हमारे।


तेरा प्रेम है वो खुशबू, जो महकती है हर ओर,

तेरी चाहत में छुपा है हर जज़्बात का शोर।

मैं कुछ नहीं, मगर तेरा प्रेम है सब कुछ मेरा,

तेरे बिना अधूरा, अधूरा है मेरा हर सवेरा।



Comments