बोलना तो पड़ेगा ही...

बोलना तो पड़ेगा ही, चाहे धीमे स्वर में बोलो,

चाहे प्रेम से बोलो, या सहमते कंठ से खोलो।

चाहे कोई अनसुना कर दे, तुम्हारी बातों को,

चाहे तुम्हें बार-बार दोहराना पड़े बातों को।


शब्दों में है शक्ति, ये कभी न भूलना,

सन्नाटा चाहे गहरा हो, तुम मत रुकना।

हर बात का असर तुरंत नहीं होता,

पर समय की धार में हर बीज पनपता।


हो सकता है तुम्हारी आवाज को वक्त लगे,

सुनने वालों के मन में जगह बनाने में।

हो सकता है सालों का इंतजार हो,

पर सत्य के बोल कभी व्यर्थ नहीं जाते।


शब्द तुम्हारे भले धीमे क्यों न हों,

उनमें छिपा साहस गरिमामय होगा।

हर छोटी गूंज भी बड़े तूफान ला सकती है,

जो न बोलते, वे कभी इतिहास न रचते।


बिना बोले तो कुछ भी संभव नहीं,

शब्दों के बिना खामोशी की कोई गिनती नहीं।

एक विचार, एक स्वर, बदल सकता है सब,

तुम बोलो, चाहे जितनी भी हो कठिनाइयों का सबब।


बोलना ही है, ये तय है जीवन में,

हर खामोशी को तोड़ना है, हर क्षण में।

चाहे देर से ही सही, पर असर जरूर होगा,

तुम्हारे शब्दों से ही नया सवेरा होगा।



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