कैसे भूलूँ वो तुम्हारा पहला स्पर्श...
कैसे भूलूँ वो तुम्हारा पहला स्पर्श
कैसे भूलूँ तुम्हारी महक,
वो पहली छुअन जो दिल में समाई,
सर्द हवाओं में जैसे धूप की किरण,
जो रूह तक उतर आई।
जब पहली बार तुम्हारा हाथ थामा था,
जैसे लहरों ने किनारे को छुआ हो,
धड़कनों ने गीत गुनगुनाया था,
और सांसों में खुशबू का जादू हुआ हो।
वो नर्म-सी उँगलियों का अहसास,
जिसने मेरी रगों में आग भर दी थी,
हर धड़कन पर नाम तुम्हारा लिखा,
तुम्हारी छुअन से ज़िन्दगी महक गई थी।
तेरे बालों की खुशबू में छुपा था,
वो जादू जो दिल को बहकाता रहा,
हर झोंका उस रात की याद दिलाता,
तेरी खुशबू से हर पल महकाता रहा।
तेरी छुअन थी जैसे कोई कविता,
जो अधरों पर मुस्कान लिख गई,
हर दर्द को भुलाकर,
मेरी आँखों में एक नई चमक दे गई।
कैसे भूलूँ वो पहला अहसास,
जब दिल ने पहली बार चाहा था तुम्हें,
हर स्पर्श में छुपा था एक सपना,
जो अब भी मेरी नींदों में गूँजता है।
तुम्हारी महक अब भी हवाओं में है,
जहाँ से तुम गुजरी थीं कभी,
वो गुलाब की खुशबू, वो भीनी-सी बात,
आज भी मेरी सांसों में बसती है अभी।
कैसे भूलूँ वो तुम्हारा पहला स्पर्श,
कैसे भूलूँ तुम्हारी महक,
वो लम्हे अब भी मेरी धड़कनों में हैं,
जो तेरे नाम की धुन में बसते हैं।
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