अगर गुलाब से मेरा संवाद हो पाता....

अगर गुलाब से मेरा संवाद हो पाता,

मैं उससे दिल की हर बात कह पाता।

मैं कहता, "तुम उसके पास चले जाओ,

उसके ख्यालों में अपनी खुशबू बसाओ।"


"उसके बालों में गुँथकर उसे सजाओ,

उसकी सुंदरता को और भी निखराओ।

तुम्हारी कोमल पंखुड़ियों का एहसास,

उसके चेहरे पर बिखरे, जैसे स्वर्ग की आस।"


"उसकी मुस्कान में घुल जाओ तुम,

हर लम्हे को महका दो, बनो हरदम।

तुम्हारी खुशबू उसकी साँसों में समा जाए,

हर दर्द का मरहम, हर ख्वाब सजीव हो जाए।"


"तुम बनो उसके जीवन का मधुर संगीत,

उसके हर कदम को दो अनमोल प्रीत।

उसके दिल को प्यार से भर दो,

उसकी आत्मा में सुकून की लहर दो।"


गुलाब सुनकर ये मुस्कुराता होता,

शर्म से लाल, कुछ और खिल जाता।

और मैं देखता उसे, कहता बार-बार,

"तुम तो हो प्रेम का सबसे सुंदर उपहार।"


तो काश, अगर गुलाब से मेरा संवाद हो पाता,

हर शब्द में प्यार का सन्देश दे पाता।

मैं कहता, "जाओ, उसे और सुंदर बना दो,

उसकी दुनिया में अपनी सुरभि बसा दो।"



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