जब पहली बार तुम्हें छुआ...
जब पहली बार तुम्हें छुआ,
जैसे कोई सपना साकार हुआ।
दिल में थिरकन, सांसों में गान,
जग उठा प्रेम का अनहद वितान।
जब तुम्हें आलिंगन में बांधा,
मन में एक ज्वार सा उठता रहा।
तुम्हारी धड़कन मेरी धड़कन बनी,
प्यार की धरती पर बहार आई नई।
फिर अधरों पर अधर रख दिए,
सदियों के बंधन पल में टूट गए।
शब्द नहीं, बस स्पर्श की भाषा,
सजीव हो उठी हर इच्छा-अभिलाषा।
तुम्हारे हर अंग को चूम लिया,
सपनों से आगे सच को छू लिया।
तन से मन तक बहा प्रेम का रस,
खो गए हम, मिटा गया हर फासला बस।
और जब हम तुम एक हो गए,
दो जिस्मों में एक प्राण से भर गए।
वो मिलन, वो पल, अमर प्रेम की गाथा,
आग और जल का बना अनूठा गठबंधन।
तुम में मैं और मुझ में तुम समाए,
प्रेम के आकाश में तारे मुस्काए।
वो पहला मिलन, वो अमर संगम,
प्यार की धारा में बहे हर दम।
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