वो महक आज भी याद है..
वो महक आज भी याद है
वो पहली मुलाकात की ख़ुशबू आज भी साथ है,
जैसे बरसात की बूँदों में बसंत का कोई गीत हो,
तेरे लम्स की वो नरमी,
आज भी मेरी सांसों की हर धड़कन में रचती बसी हो।
तेरे आँचल से उठी थी जो खुशबू,
वो हवाओं में अब भी गुनगुनाती है,
हर एक झोंके में तेरा एहसास,
अब भी मेरे दिल को सहलाती है।
वो फूलों की तरह महकती हँसी,
जो पहली बार तुझसे मिली थी,
अब भी मेरे ख्वाबों की हर शाख़,
तेरी यादों के रंग से सजी थी।
तेरी आँखों के गहरे समंदर में,
जो चाँदनी-सी चमकती थी बात,
आज भी उसकी हर लहर,
मेरे दिल के किनारों को चूम जाती है।
वो शाम का ढलता हुआ रंग,
जहाँ तेरे संग वक़्त ठहर गया था,
उस लम्हे की हर सुगंध,
अब भी मेरी धड़कनों में उतर गया था।
हर मौसम की खुशबू में,
तेरा नाम बसा हुआ है कहीं,
तेरी महक से महका मेरा मन,
आज भी तेरा दीवाना है यहीं।
तेरे कदमों के निशान,
जो मेरी राहों में बस गए थे,
वो महकती यादों के फूल,
अब भी मेरी राह सजाए रखते हैं।
वो महक आज भी बहकाती है,
तेरी हर छुअन को दोहराती है,
वो पहली मुलाकात की खुशबू,
अब भी हर सांस के साथ चली आती है।
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