कैसे भूल जाऊँ हमारी पहली मुलाकात...
कैसे भूल जाऊँ हमारी पहली मुलाकात
जहाँ नज़रों ने पहली बार बुन ली थी बात,
तेरे चेहरे पर फैली वो मुस्कान,
मेरे दिल में गूँज गई थी जैसे कोई मधुर तान।
कैसे भूलूँ तुम्हारा वो पहला स्पर्श,
जब मेरी उँगलियों ने तुम्हारे हाथों को छुआ था,
एक लहर-सी दौड़ी थी दिल की हर राह में,
जैसे प्यास को मिला हो पहली बार कोई दरिया।
तेरी महक जो हवाओं में बसी थी,
वो खुशबू अब भी मेरे साथ चलती है,
हर झोंका जो पास से गुज़रता है,
तेरा नाम लेता है, दिल को महकाता है।
कैसे भूलूँ वो पहला चुम्बन,
जहाँ लबों ने प्रेम का गीत गाया था,
सांसों में उलझी सांसों की वो सरगोशी,
जिसने वक्त को पलभर को थमाया था।
तुम्हारे होंठों की वो नरमाई,
जो अब भी मेरी यादों में सजी है,
हर छुअन का वो गहरा अहसास,
जैसे कोई अमर कविता लिखी है।
पहली मुलाकात, पहला स्पर्श,
तेरी महक और वो पहला चुम्बन,
ये सब मेरी धड़कनों में आज भी हैं,
कैसे भूल जाऊँ, जब ये मेरी रूह में बसते हैं।
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