"मेरा नहीं होना था तो बता देती, इतनी जल्दी शादी क्यों कर ली?"...
"मेरा नहीं होना था तो बता देती,
इतनी जल्दी शादी क्यों कर ली?"
दिल लगाकर हमने तुम्हें खुदा माना,
पर तुम्हारी बेवफाई का ग़म हमने छुपा लिया।
जो हक़ीक़त थी, वो भी झूठी लगने लगी,
तुमने जो छोड़ा, वो उम्मीद भी मिटा दिया।
थोड़ा रुक जाती, थोड़ा समझा देती,
दिल की इस तन्हाई को आवाज़ दे देती।
पर तुमने मुड़कर भी नहीं देखा कभी,
इतनी जल्दी ये दूरियां क्यों बढ़ा ली?
अब शिकवा नहीं, न कोई इलज़ाम है,
तुम्हारे फैसलों में भी मेरा नाम है।
पर एक बात दिल से पूछ लूं आखिरी,
"मेरा नहीं होना था तो बता देती,
इतनी जल्दी शादी क्यों कर ली?"
Comments
Post a Comment