बहाव और ठहराव...
बहाव और ठहराव
लड़कियाँ जानती हैं, बहना कहाँ तक,
और फिर किसी मोड़ पर रुक जाना।
लहरों की तरह उमड़ती तो हैं,
पर समुंदर में खो नहीं जाना।
लड़कों को तैरना कहाँ आता है,
वो बस धाराओं में बह जाते हैं।
जोश में होकर आँख मूँद लेते,
और गहरे पानी में डूब जाते हैं।
लड़कियाँ जानती हैं बहाव की भाषा,
उसे कोमल बना के संवारती हैं।
नदी को खौफनाक नहीं बनने देती,
बस किनारों को छू के निखारती हैं।
उन्हें पता है, तेज़ धार में,
जो भी उतरा, डूब गया।
इसलिए वो लहरों से खेलती हैं,
पर गहराइयों में नहीं खोतीं।
बहाव में बहना सबको आता है,
पर ठहरना हर किसी को नहीं।
लड़कियाँ जानती हैं ये राज़,
इसलिए बहते हुए भी, बहती नहीं।
रूपेश रंजन...
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