आत्मा का चुम्बन...
आत्मा का चुम्बन
मैं मानता हूँ, चूमना बस अधरों को पूर्ण प्रेम नहीं,
सिर्फ बाहरी स्पर्श से मोहब्बत की पहचान नहीं।
चाहता हूँ ऐसा चुम्बन, जो रूह तलक उतर जाए,
तेरी आत्मा मेरी आत्मा में सदा के लिए बस जाए।
ना सिर्फ होठों की गर्मी, ना साँसों की आहट,
दिल की गहराइयों से निकले प्रेम की सच्ची चाहत।
तेरी धड़कनों में मैं धड़कूँ, मेरी सांसों में तू बहे,
हमारे बीच कोई सीमा ना हो, बस प्रेम ही प्रेम रहे।
तेरी आत्मा को चूमूँ, तेरे मन में समा जाऊँ,
तेरे हर दर्द को बाँधकर, मैं तेरा गीत बन जाऊँ।
ऐसा चुम्बन जो शब्दों से परे, बस एहसास हो,
जिसमें मिलन हो रूहों का, प्रेम का प्रकाश हो।
तेरे हृदय की हर धड़कन को मैं स्पर्श करूँ,
तेरे भीतर के हर भाव को मैं महसूस करूँ।
मेरा प्यार बाहरी नहीं, आत्मा की प्यास है,
जिसमें सिर्फ समर्पण है, जिसमें सिर्फ विश्वास है।
जिस पल तेरा मन मेरा नाम पुकारे,
वो पल हमारा अमर हो जाए सारे।
ना समय की हद, ना कोई बंधन हो,
बस आत्मा का चुम्बन हो, बस अनंत प्रेम हो।
Comments
Post a Comment