प्रेम की स्थिरता...
प्रेम की स्थिरता
कुछ भी स्थिर नहीं इस संसार में,
सब कुछ गतिमान है,
धूप छाँव की तरह बदलता,
नदी की धार सा बहता।
तुम देखो ध्यान से,
ये पत्ते, ये बादल, ये हवा,
सब कुछ निरंतर चलायमान,
कोई भी ठहरा नहीं यहाँ।
पर फिर भी,
तुम्हारे और मेरे मध्य,
प्रेम स्थिर हो सकता है,
अगर तुम सच में चाहो।
समय की धारा से परे,
हर हलचल से अलग,
बस एक क्षण को ठहर कर देखो,
हमारे प्रेम का शाश्वत सत्य।
अगर तुम कोशिश करो,
तो यह संसार बदल सकता है,
पर हमारा प्रेम,
अडिग, अचल और अमर रहेगा।
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