तुम मेरे सामने वाले घर में रहती हो...

 

तुम मेरे सामने वाले घर में रहती हो

तुम मेरे सामने वाले घर में रहती हो,
रास्ते हमारे एक ही हैं,
कभी-कभी दिख भी जाती हो,
तुम आगे, मैं पीछे,
कभी आमने-सामने,
पर यह नहीं पता कि कभी मैं आगे और तुम पीछे,
ऐसा भी कभी हुआ है क्या?

बहुत सारी चीजें हम चाहते हैं,
वो नहीं हो पाती हैं,
बहुत सारी चीजें हम नहीं चाहते,
और वो हो जाती हैं।
कुछ चीजें होकर ही रहती हैं,
हमारा-तुम्हारा उस पर कोई बस नहीं चलता।

तुम्हें देखकर लगता है,
कि यह बस एक संयोग नहीं हो सकता,
हमारी राहें बार-बार टकराती हैं,
क्या यह इत्तेफ़ाक़ है या कोई अनदेखा संकेत?

सूरज रोज़ उगता है,
चाँद अपनी यात्रा पूरी करता है,
कभी हमने उसे रोका है क्या?
जो होना होता है, वो होकर ही रहता है।

अगर कुछ हो रहा है,
तो उसका कोई कारण होगा,
मैं तो स्वीकार कर चुका हूँ,
कि यह यूँ ही नहीं हो सकता।

हवा जब तुम्हारे बालों को सहलाती है,
तो वो मेरे दिल में हलचल क्यों मचाती है?
तुम्हारी हल्की-सी मुस्कान,
क्यों मेरे दिल में लहर-सी उठाती है?

क्या तुमने कभी महसूस किया है,
कि कोई अनकहा बंधन हमें जोड़ रहा है?
शायद तुम इसे संयोग मान रही हो,
पर मैं इसे इशारा समझ चुका हूँ।

अब फैसला तुम्हें करना है,
क्या इसे यूँ ही गुजर जाने देना है?
या फिर ठहरकर देखना है,
कि यह राहें हमें कहाँ ले जाती हैं?

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