तुम मेरे मन में हो...

 

तुम मेरे मन में हो

तुम मेरे मन में हो,
मेरे भीतर हो,
एक ऐसा सत्य जो अविचल,
अखंड, अनंत है।

कोई छिन नहीं सकता मुझे तुमसे,
तुम भी नहीं,
क्योंकि तुम कोई बाहरी सत्ता नहीं,
तुम मेरे अस्तित्व का आधार हो।

इस संसार में बहुत कुछ है,
पर कोई इतना शक्तिशाली नहीं
कि मुझे तुमसे अलग कर सके।
मुझे समाप्त किया जा सकता है,
पर तुम्हें मेरे भीतर से मिटाया नहीं जा सकता।

तुम्हारी उपस्थिति मेरे पहले क्षण से,
अब तक विद्यमान रही है,
और जब यह ब्रह्मांड विलीन हो जाएगा,
तब भी तुम मेरी चेतना में शेष रहोगी।

तुम समय के पार हो,
आत्मा की तरह अजर-अमर,
एक ज्योति, जो मेरे भीतर
सदैव प्रज्वलित रहेगी।

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