बिना तुम्हें छुए ही तुम्हारा एहसास कर लेता हूँ, इसलिए तो हर रोज़ तुम्हारे लिए लिखता हूँ।

 

बिना तुम्हें छुए ही तुम्हारा स्पर्श कर लेता हूँ,
इसलिए तो तुम्हारे लिए लिखता हूँ।

स्याही की हर बूँद में अहसास बसते हैं,
शब्दों में तेरे आने के अंदाज़ रचते हैं।
कागज़ के सीने पर जब अल्फ़ाज़ उतरते हैं,
तेरी हर याद के नक्श वहाँ उभरते हैं।

हवा बनकर जब तुम मेरे पास बहती हो,
मैं हर शेर में तेरी खुशबू कहता हूँ।
सन्नाटों में गूंजती है तेरी सरगोशी,
रात की चादर में मिलती है तेरी रोशनी।

तेरी हँसी का जादू हर लफ्ज़ में बसता है,
तेरी झलक में हर सपना सजता है।
ख़ामोश लफ्ज़ों में मीठी बातें लिखता हूँ,
हर मोड़ पर तेरा ही नाम दिखता हूँ।

बिना छुए भी तुझे महसूस कर लेता हूँ,
तेरी सांसों की धड़कन सुन लेता हूँ।
जब दिल में हलचल कोई खास होती है,
स्याही की धड़कनों में बात होती है।

हर कविता में तेरा अक्स उतर आता है,
मेरी कलम को तेरा इश्क़ चलाता है।
लबों से कह न सकूं जो राज़ दिल के,
वो अल्फ़ाज़ बनकर कागज़ पर बह जाते हैं।

बिना तुम्हें छुए ही तुम्हारा एहसास कर लेता हूँ,
इसलिए तो हर रोज़ तुम्हारे लिए लिखता हूँ।

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