प्रेम संग जीना, प्रेम संग मरना...

 प्रेम संग जीना, प्रेम संग मरना


मैं तो जीने की सोच ही नहीं रहा,

मुझे मर जाना है,

प्रेम के साथ ही,

प्रेम से विरह के बाद नहीं।


ये साँसें जब तक प्रेम से भरी रहें,

तब तक ही जीवन मधुर लगे।

पर बिन तेरे ये धड़कन भी क्या?

जो केवल पीड़ा में सिहर लगे।


तेरी हँसी का सूरज जब डूबे,

मेरे जीवन की साँझ भी आए।

प्रेम का दीप जब बुझ जाएगा,

तो मैं भी राख में मिल जाऊँ।


ना विरह का अश्रु बहाऊँगा,

ना तेरे बिना अधूरा जी पाऊँगा।

तू रहे, तो जीवन हो मेरा,

तू ना रहे, तो मैं भी कहाँ?


मैं तो जीने की सोच ही नहीं रहा,

मुझे मर जाना है,

प्रेम के साथ ही,

प्रेम से विरह के बाद नहीं।



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