बसंत पंचमी का मधुर पर्व🙏🙏🙏
पीली सरसों मुस्काती है, बगिया महक उठी,
कोयल गाए मीठे स्वर, धरती चहक उठी।
मंद पवन संग भीनी खुशबू, छूती मन के तार,
आया ऋतु का राजकुंवर, लाया मधुर बहार।
गगन सजा है पतंगों से, उत्सव मना है गाँव,
बालक, युवा, वृद्ध सभी में, नई उमंग नव ठावं।
हर्ष और उल्लास की छाया, हर मन में संचार,
बसंत की मादक फुहारें, भर दें नव उल्लास।
माँ वीणावादिनी विराजें, ज्ञान दीप जलाएं,
शिक्षा, विवेक, बुद्धि का आशीष हमें दिलाएं।
श्वेत कमल पर बैठ, कृपा की वर्षा बरसाएं,
विद्या की जोत जलाकर, हर तम को मिटाएं।
दरगाह पर भी बसंत का, छा जाता है रंग,
खुसरो ने गुरु के दुख में, गाया प्रेम-अनंग।
बसंती चोला पहन लिया, फूलों संग मनाया,
संग निज़ाम के महफिल में, रंग बसंती छाया।
यह उत्सव है नई फसल का, धरती माँ का प्यार,
प्रकृति की हर धड़कन में, सुन लो मधुर पुकार।
नव जीवन की आस लिए, चलो प्रेम बरसाएं,
बसंत के इस पावन पर्व पर, हर दिल में मुस्काएं।
रंग, प्रेम और ज्ञान का, यह उत्सव मनाते रहें,
हर वर्ष पीतांबर धरती, आनंद बहाते रहें।
माँ सरस्वती का आशीष, मिले हमको बारंबार,
सुख, समृद्धि, प्रेम, उल्लास से, भर जाए संसार।
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