जीने की वजह..

 

जीने की वजह

कुछ चाहो और वो मिल जाए,
अगर इतना आसान हो सब कुछ, तो मज़ा कहाँ?
कुछ चाहो और उसे पाने तक का सफर,
यही तो ज़िंदगी को जीने की वजह देता है।

न हो ठोकरें, न हों अड़चनें,
तो राहों की कीमत कौन समझे?
सपनों के लिए जो जूझे नहीं,
उनके पूरे होने की खुशी कौन समझे?

मुझे नहीं चाहिए आसान ज़िंदगी,
संघर्ष के बिना कोई कहानी नहीं।
हर दर्द, हर ठहराव ने मुझे गढ़ा,
वरना शायद मैं, मैं ही नहीं।

जो खोया, उसने सिखाया,
जो पाया, उसकी कीमत बताई।
जो टूटा, उसने मजबूत किया,
जो बिखरा, उसने नया आकार दिया।

अगर सब सरल होता,
तो धैर्य कहाँ से आता?
अगर सब कुछ यूँ ही मिल जाता,
तो मेहनत का अर्थ कैसे समझ आता?

रातों की बेचैन करवटें,
सुबह के अडिग इरादे,
सपनों को साँसों में बसाकर,
आगे बढ़ते रहने का वादा।

हर हार के बाद फिर से उठना,
हर दर्द को ताकत बना लेना,
यही तो असली जीत है,
यही तो जीने की वजह है।

आज जो भी हूँ,
उस सफर की देन हूँ,
अगर रास्ते आसान होते,
तो शायद मैं अधूरा रह जाता।

मुश्किलें ही मेरी पहचान हैं,
संघर्ष ही मेरा सम्मान है,
हर चुनौती को हंसकर अपनाया है,
क्योंकि यही जीने का असली सामान है।

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