संसर का कठोर सत्य...
संसर का कठोर सत्य
संसार ह्रदयविहीन है,
संसार कलुषित है,
इसमें मेरी क्या गलती है?
यदि संसार सामान्य चीज़ों को,
सामान्य तरीके से नहीं लेता,
तो कोई क्या कर सकता है?
संसार हर चीज़ को,
कठिन और क्लिष्ट बनाने पर उतारू है।
इसने मुश्किल नियम और कानून बनाए हैं,
और जीवन के मौलिक सत्य को,
इन नियमों की आड़ में तिलांजलि दे दी है।
इसमें हमारी गलती कहाँ है?
हम दिमाग़ नहीं लगाना चाहते,
हम डरपोक हैं,
हम वही रास्ता लेते हैं,
जो चलता आ रहा है।
तो परिणाम भी पहले से निश्चित ही मिलेंगे,
क्योंकि हमने कभी प्रश्न नहीं किया,
कभी कुछ नया नहीं चुना,
और ना ही सत्य को अपनाया।
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