"ज्ञान की उड़ान"

 

"ज्ञान की उड़ान"

ज्ञान को सीमा में मत बाँधो,
यह तो आकाश की तरह अनंत है।
जिसे तुमने रेखाओं में समेटा,
वह तो केवल भ्रम का वंदन है।

ज्ञान को रूप देने की मत कोशिश करो,
यह तो बहता जलप्रवाह है।
जिसने इसे आकार में ढालना चाहा,
वह इसकी गहराई से अनजान है।

ज्ञान बस ज्ञान है,
न कोई रूप, न कोई नाम है।
यह तो एक दीपक की लौ है,
जो स्वयं में ही प्रकाश है।

यह अनुभूति है, यह अहसास है,
जो हृदय के अंतर में बहता है।
जिसने इसे सच में जान लिया,
वह सच्चे आनंद में रहता है।

यह आनंद है, यह मुक्ति है,
न इसमें बंधन, न इसमें द्वेष।
बस इसे खुलकर बहने दो,
हर मन में, हर श्वास में विशेष।

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