अहंकार का बोझ...

 

अहंकार का बोझ

जिसके पास कुछ नहीं होता,
अहंकार वही दिखाता है।
खाली मन का दर्प सदा ही,
झूठे स्वाभिमान में आता है।

ज्ञान न हो, तो शब्द कठोर,
अपने ही मन को छलते हैं।
ऊँचाई न हो, तो व्यर्थ लोग,
छोटों को नीचे करते हैं।

सच्चा जो समृद्ध है भीतर,
विनम्रता में वो झुकता है।
जिसे न हो कोई आडंबर,
वही सच्चा सुख पाता है।

धन, विद्या या गुण की थाली,
जिसके घर में भर जाती है।
उसका मन अहंकार नहीं,
बस करुणा से भर जाता है।

जो खाली है, वो ही अक्सर,
शोर अधिक मचाता है।
जिसे हो भीतर का प्रकाश,
वो दीपक बन जगमगाता है।

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