जब चाहो शांति, युद्ध को हो तैयार...

 

जब चाहो शांति, युद्ध को हो तैयार

जब चाहो शांति, युद्ध को हो तैयार,
बिना पराक्रम, नहीं मिले संसार।

फूलों की खुशबू बसती है वहां,
जहाँ तलवारों की चमक हो जहाँ।

शांति का सूरज तब ही उगेगा,
जब शौर्य का दीप जलता रहेगा।

गांधी ने अहिंसा का मार्ग दिखाया,
पर रणभूमि में अर्जुन ने ही विजय पाया।

संवेदनशील मन को भी चाहिए ढाल,
वरना टूट जाएगा जैसे कांच का जाल।

हर दीपक को चाहिए तेल,
वीर न हों तो शांति हो अस्थिर खेल।

यदि तू सोचे, युद्ध नहीं करना,
दुश्मन को तब भी रोक नहीं सकना।

संभल के चलना, बनो संयमी,
पर साहस रखो, बनो अग्नि-शिखी।

शब्दों से दुनिया बदल नहीं जाती,
कभी-कभी तलवार भी चलानी पड़ जाती।

वीरता से ही शांति बनी रहती,
कमजोरी से बस गुलामी सजी रहती।

समझौते तभी सफल हो सकते,
जब हम शक्ति के बल पर टिके रहते।

सीमा सुरक्षित तभी रहेगी,
जब सेना रणभूमि में डटी रहेगी।

शांति का सपना तब ही फलेगा,
जब भय दुश्मन के मन में जमेगा।

बात करो, पर हथियार रखो,
दुश्मन को हर पल सतर्क रखो।

शांति की भाषा वही समझेगा,
जिसे शक्ति का मतलब समझ आएगा।

इसलिए जब चाहो शांति महान,
युद्ध की तैयारी रखो सदा अभिमान।

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