मैं उच्च वर्ग का हूँ...
मैं उच्च वर्ग का हूँ,
क्योंकि मेरा लहू निर्बलों के लिए बहता है।
मैंने शिक्षा पाई है संसार बदलने को,
जाति और धर्म से मैं कभी न बंधता हूँ।
न्याय की मशाल उठाई है,
हर अन्याय से टकराई है,
हाथों में प्रेम की भाषा लेकर,
नफरत से मैंने लड़ाई है।
सबका सम्मान मेरा धर्म है,
समानता ही मेरी सच्चाई है।
शिक्षा का अर्थ समझा मैंने,
केवल किताबों में सीमित नहीं,
हर मनुष्य को एक समझूं,
किसी भेदभाव की जरुरत नहीं।
उठेगा समाज तभी ऊँचाई पर,
जब सबमें प्रेम की धारा बहे।
मुझे ऊँचा बनना है तो सोच में,
केवल स्वयं के लिए नहीं जियूँगा,
जहाँ अंधेरा देखूँगा, दीप बनूंगा,
जहाँ जख्म देखूँगा, मरहम बनूंगा।
मैं उच्च हूँ, क्योंकि सबको ऊँचा उठाऊंगा,
हर दिल में प्रेम का गीत गाऊंगा।
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