मुझे किसी से डर नहीं लगता...

मुझे किसी से डर नहीं लगता, मैं खुद अपनी ताकत हूँ,

अंधियारे कितने भी घने हों, मैं जलती हुई ज्वाल हूँ।

तूफ़ानों से खेला करता, बिजली से बातें करता हूँ,
संघर्षों की राहों में चलकर, हर सपने को जीता हूँ।

डर का कोई वजूद नहीं, जब हौसले मजबूत हैं,
हार भी आगे झुक जाएगी, अगर इरादे अडिग हैं।

मैं सागर की उठती लहरें, जिसे रोक न पाएगा कोई,
चट्टानों से टकरा जाऊँ, फिर भी झुकूंगा नहीं कोई।

मैं वो आग हूँ, जो जलकर भी, खुद को कमज़ोर नहीं करती,
हर मुश्किल में तपकर, सोने सी चमकती रहती।

डर तो केवल भ्रम है, जो मुझसे टकराकर मिट जाएगा,
मेरा आत्मविश्वास ही मेरी, असली ताकत बन जाएगा।

आंधियाँ चाहे जितनी आएँ, मैं दीपक बन जलता हूँ,
हर डर को राख कर दूँ, जब साहस से चलता हूँ।

मुझे किसी से डर नहीं लगता, क्योंकि मैं ही अपनी शक्ति हूँ,
जीवन की हर जंग में, मैं खुद अपनी भक्ति हूँ।

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