पत्नी का प्रेमिका हो जाना...

 

पत्नी का प्रेमिका हो जाना

जब वो प्रेमिका थी, तो हर मुलाक़ात में एक अनकही ख़ुशी थी,
हर शब्द में मोहब्बत की मिठास थी, हर निगाह में एक खास चमक थी।
रूठने-मनाने का सिलसिला था, हर मुलाकात में इंतजार की कसक थी,
हर अलविदा के बाद अगली मुलाकात का जुनून था, हर पल दिल में धड़कन की हलचल थी।

फिर उसने तुम्हारा नाम अपनी मांग में सजा लिया,
अपने सपनों को तुम्हारी हकीकत बना लिया।
अब वो तुम्हारे हर सुख-दुख की साथी बन गई,
अब उसका प्रेम, उसकी हंसी, उसकी दुनिया तुम्हारे इर्द-गिर्द सिमट गई।

पर तुमने देखा क्या कभी,
कि जो प्रेमिका हर लम्हा तुम्हारे इश्क़ में डूबी थी,
आज वो बस एक पत्नी बनकर रह गई है,
जिम्मेदारियों के बोझ में कहीं वो मासूम हंसी खो गई है।

पहले उसके कानों में तुम्हारी बातें संगीत सी बजती थीं,
अब वो शब्द बस रोजमर्रा के हुक्म जैसे लगते हैं।
पहले उसके लिए तुम्हारा स्पर्श मोतियों सा अनमोल था,
अब वो सिर्फ कर्तव्य का एक हिस्सा बनकर रह गया है।

क्या सच में प्रेम का यही अंजाम था?
क्या विवाह का अर्थ प्रेम का समापन था?
नहीं, प्रेमिका का पत्नी बन जाना तो प्रकृति का नियम है,
पर पत्नी का प्रेमिका बने रहना ही इस सृष्टि की सबसे खूबसूरत घटना है।

तुम फिर से उसे उसी प्रेम से देखो,
जिससे तुमने पहली बार उसकी आंखों में मोहब्बत पढ़ी थी।
फिर से उसके कानों में वही मीठी सरगम घोलो,
जिससे उसका दिल कभी तुम्हारे लिए धड़का था।

वो आज भी वही प्रेमिका है, बस उसे एहसास कराना होगा,
रिश्तों की भीड़ में उसका हाथ फिर से थामना होगा।
उसे यह यकीन दिलाना होगा कि वो सिर्फ पत्नी नहीं,
तुम्हारे हर जन्म की प्रेमिका भी है, तुम्हारी रूह की सखी भी है।

क्योंकि प्रेमिका से पत्नी बनना तो सहज है,
पर पत्नी का प्रेमिका बने रहना ही सच्चा प्रेम है।

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