इसलिए चाय पी रहा था...

 

मैं उसका इंतज़ार कर रहा था,
इसलिए चाय पी रहा था।
बहुत देर हो गई,
वो नहीं आई।
मुझे बुरा लगा।
मैंने फिर चाय पी, अकेले ही।

वो होती तो चाय का स्वाद बढ़ जाता,
हो सकता है चाय वाले को मुझसे दो-चार बड़ाई के शब्द सुनने को मिल जाते।
पर कोई नहीं,
मैंने अकेले ही चाय पी ली।
थोड़ा अच्छा लगा।

घर को लौटा,
आज अच्छा नहीं लग रहा था।
चाय बनाई और पी ली,
थोड़ा ठीक लगा।
छत पे फिर घूमा,
कमरे में आया और खाना खाया।
फिर बिछावन पे लेटा,
अब भी कुछ ठीक नहीं लग रहा था।

बाहर चौराहे तक गया।
चायवाला दुकान बंद कर रहा था।
मुझे देख बोला,
"आइए सर, बैठिए।"
मैं बोला,
"रहने दीजिए, दुकान बंद कर रहे हैं।"
उसने बोला,
"सर, कोई नहीं, आपके लिए बना दूंगा।"
मैंने कहा,
"आप भी पी लीजिए।"
उन्होंने नहीं पिया।

मैंने चाय पी ली और कमरे में लौट आया।
पहले से ठीक लग रहा था।
और फिर मैं मोबाइल की दुनिया में खो गया।

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