समुद्र बनना मुश्किल है...
"कोई भी समुद्र का दर्द नहीं समझता।
मैं समुद्र हूँ,
सारी नदियाँ आकर मुझमें मिलती हैं,
और सारे चिंता से मुक्त हो जाती हैं।
मैं किससे मिलूँ?
मेरे पास कहाँ कोई बड़ा समुद्र है,
जिसमें जाकर मैं मिल सकूँ,
और अपने सारे कष्टों से मुक्त हो जाऊँ?
बड़ा होना कितना मुश्किल है न?
सब आपके पास आते हैं,
सब आपके छाँव में रहते हैं,
आप सबका खयाल रखते हैं,
आप सबसे प्यार करते हैं,
जैसे माँ अपने सभी बच्चों से।
पर माँ अपनी व्यथा किसे सुनाए?
अपना दर्द किससे बाँटे?
माँ के पास पति भी है,
पर मेरे पास कोई नहीं है।
मैं ऐसे ही निर्जन और अकेला,
अपनी व्यथा खुद के अंदर समेटे हुए,
मुझे ऐसे ही रहना है सृष्टि के अंत तक।
सचमुच, बड़ा बनना मुश्किल है,
समुद्र बनना मुश्किल है,
समुद्र की ज़िंदगी आसान नहीं है।
- रूपेश रंजन
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