नदी को पता है...

 नदी को पता है... 


नदी को पता है,

कि लोग प्यास बुझाने उसी के पास आएंगे,

अपने अधरों से उसकी बूंदें छूएंगे,

और फिर उसे छोड़ आगे बढ़ जाएंगे।


नदी को पता है,

कैसे किनारे संभालकर रखने हैं,

कैसे बहना है, ठहरना है,

और कब चुपचाप गहराइयों में उतर जाना है।


वो जानती है,

कि प्यास भी मिटानी है,

और प्यास भी बचाकर रखनी है,

कि कोई बार-बार लौटे उसी की ओर।


वो चाहती तो समुंदर हो जाती,

खारेपन में सब डुबो देती,

पर उसने मीठा बहना चुना,

हर प्यासे के लिए खुद को देना चुना।


नदी को पता है,

कि उसे बस बहते रहना है,

कभी मंथर, कभी वेग से,

हर राहगीर को अपनाते हुए भी,

खुद को कभी खोने नहीं देना है।


✍🏻 रूपेश रंजन...

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