मैं कैसे तुम्हें नहीं देता...


मैं कैसे तुम्हें नहीं देता,
तुमने आखिर मुझसे कुछ माँगा था।
तेरी आँखों में जो सपने थे,
मैंने उनको अपने से जोड़ा था।

तूने जब भी हाथ फैलाया,
मैंने खुद को तुझमें पाया।
तेरी हर ख्वाहिश मेरी थी,
तेरा हर दर्द भी मेरा साया।

तेरे लफ्ज़ों में जो सादगी थी,
मेरे दिल ने उसको अपनाया।
तेरी धड़कन की हर धुन पे,
मैंने खुद को झूमते पाया।

तूने चाँद माँगा था मुझसे,
मैंने तारों से दोस्ती कर ली।
तेरी राहों में फूल बिछाने को,
मैंने धूप से साजिश कर ली।

तू जो माँगे, मैं वो दूँ,
तेरे चेहरे पे बस हँसी रहे।
तेरे होंठों की मुस्कान को,
मैं हर मुश्किल से बचा लूँ।

मैं कैसे तुम्हें नहीं देता,
जब तूने दिल से कुछ माँगा था।
मेरे हिस्से की खुशियाँ भी तुझपे,
मैंने खुद ही पहले वार दिया था।

तेरी चाहत मेरा इमान है,
तेरी खुशी मेरा अरमान है।
तेरे लिए हर दर्द सह लूँ,
तू ही मेरा भगवान है।

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