इंसान का अहंकार।

 

"इंसान को देवत्व प्राप्त करने से एक ही चीज़ रोकती है –
इंसान का अहंकार।

इस ब्रह्मांड में सर्वत्र प्रेम ही प्रेम है,
फिर भी इंसान क्यों अकेला है?
इंसान का अहंकार।

इंसान को इंसान में मिलने नहीं देता है यह अहंकार।
कुछ को ज्ञान ही नहीं है,
इसलिए अहंकारी हैं।
कुछ को ज्ञान है,
इसलिए अहंकारी हैं।

"मैं क्यों उसके पास जाऊँ?"
"मैं क्यों उसे स्वीकार करूँ?"
"वह मेरे बराबर नहीं है।"
"मैं कुछ हूँ, वह कुछ नहीं है।"

सच यह है कि कोई कुछ नहीं है,
बस प्रेम ही सब कुछ है।

जो इसे स्वीकारेगा,
उनके पास पहुँचेगा।
जो नहीं स्वीकारेगा,
इस व्यर्थ जीवन को भी नारकीय बना लेगा।

– रूपेश रंजन

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