संघर्ष ही जीवन है...
मैं शायद ग़लत लगूँगा ये कहते हुए,
कि हम चाहते हैं दुनिया के कष्ट को मिटा देना।
पेड़-पौधे, जानवर, सबके दुखों को हर लें,
उन्हें ठंड से बचा लें, हर दुख से उबार दें।
धूप की तपिश से उन्हें छाँव दे दें,
बरसात की मार से उन्हें बचा लें।
कोई भूखा न सोए, कोई प्यासा न रहे,
हर जीव को सुख-शांति का आभास कराएँ।
पर अगर दुनिया में सब कुछ आरामदायक हो जाए,
तो बताओ, फिर संघर्ष कहाँ रह जाए?
जहाँ कोई पीड़ा न हो, कोई दुःख न हो,
क्या ऐसे जीवन का कोई अर्थ होगा?
सुख-दुख का संगम ही जीवन की पहचान है,
हर कठिनाई में छुपा नव निर्माण है।
अगर सब कुछ सरल होता, राहें आसान होतीं,
तो क्या इस दुनिया की कोई शान होती?
पत्थरों से टकराकर ही तो नदी ने राह बनाई,
आंधियों से जूझकर ही पर्वत ने शान पाई।
धरती को सींचता है पसीना हमारा,
संघर्षों से ही खिलता है हर एक सितारा।
अगर सब कुछ सहज मिल जाता,
तो परिश्रम का महत्व कौन समझ पाता?
किसानों के हाथों में छाले न होते,
तो क्या अन्न के भंडार भर पाते?
अगर सूरज ठंडा हो जाए,
तो जीवन का प्रकाश ही खो जाए।
अगर रातें अंधेरी न होतीं,
तो सितारे चमकते कहाँ दिखाई देते?
कष्टों में ही छुपा है जीने का आनंद,
हर दर्द में है एक गहरी सीख प्रचंड।
दुनिया ने संघर्षों से अपनी पहचान पाई,
हर युग में पीड़ा से शक्ति आई।
बुद्ध को ज्ञान कठिन तपस्या से मिला,
राम को वनवास में धर्म का सार मिला।
सीता ने अग्नि परीक्षा में धैर्य को अपनाया,
कृष्ण ने हर विपत्ति में नीति का ज्ञान कराया।
संघर्ष ही हमें जीवंत बनाता है,
हर परीक्षा हमें और मज़बूत कर जाता है।
अगर सब कुछ पहले से ही पा जाते,
तो क्या खुद को इंसान कहला पाते?
मछली अगर बहाव के साथ ही बहे,
तो क्या उसका कोई अस्तित्व रहे?
पर वह धारा के विरुद्ध तैरती है,
अपनी मंज़िल खुद सँवारती है।
दर्द ही हमें संवेदनशील बनाते हैं,
संघर्ष ही हमें आगे बढ़ाते हैं।
हर मुश्किल में एक नई सीख छुपी होती है,
हर अंधेरे में एक रोशनी होती है।
तो आओ, जीवन को चुनौती समझ अपनाएँ,
हर कठिनाई में एक नई राह बनाएँ।
संघर्ष ही जीवन की सच्ची परिभाषा है,
इसी में छुपी हर सुख-दुख की आशा है।
Comments
Post a Comment