मैं तुम्हारे पास ही आ गया...

मैं तुम्हारे पास ही आ गया,

अब इससे ज़्यादा क्या करता तेरे लिए।
तूने जो पुकारा था दिल से मुझे,
मैंने सब कुछ छोड़ दिया तेरे लिए।

तेरी राहों में जो अँधेरा था,
मैं दीप बनकर जल गया।
तेरी तन्हाई जो बोझ थी तुझ पर,
मैं उसे अपना कह गया।

मैंने खुद को तुझमें ही खो दिया,
तेरी धड़कनों में समा गया।
तेरी हर कसक को अपना समझ,
तेरी दुनिया का हिस्सा बन गया।

मैंने खुद की खुशियाँ छोड़ दीं,
तेरी हँसी को अपना लिया।
तेरी आँखों के आँसू पीकर,
खुद को हर दर्द से भर लिया।

तू जो चाहे वो बन जाऊँ,
तेरे हर ग़म को सह जाऊँ।
तेरी राहों में हर काँटा चुनकर,
मैं फूलों की तरह बिछ जाऊँ।

मैं तुम्हारे पास ही आ गया,
अब इससे ज़्यादा क्या करता तेरे लिए।
अपनी सांसों तक में तेरा नाम लिया,
अब और क्या करूँ मैं तेरे लिए?

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