मैं हूँ गणित का जादूगर, प्रकृति मेरा प्यार...


संख्याओं से रचता जादू, हल करता हर रहस्य,

गणित के गहरे सागर में, खोजता नई प्रत्याशा।


पर प्रकृति का भी हूँ दीवाना, जंगल, नदियाँ, पर्वत ऊँचे,

हर पत्ती में गणित दिखे, हर लय में गूँजे अंक सच्चे।


फाइबोनैचि के फूल खिले, मधुमक्खी की गूँज में ताल,

तरंगों में समीकरण झलके, तारों में ज्यामिति बेमिसाल।


वृक्षों की शाखाएँ बोलें, कोणों का अद्भुत विज्ञान,

बादलों में छुपा हो मानो, कलन का कोई वरदान।


मैं सूत्रों में सौंदर्य खोजूँ, प्रकृति में गणित की थाह,

एक जादूगर जो गिनती पढ़े, फिर भी महसूस करे प्रवाह।


संख्याएँ और प्रकृति मिलकर, रचें सृष्टि का अनुपम सार,

मैं हूँ गणित का जादूगर, और प्रकृति मेरा सच्चा प्यार।



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