लोग पूछ रहे हैं कि होली कब है?
पल-पल रंग बदल रहे हैं लोग,
ज़िंदगी हर दिन एक नया रंग दिखा रही है।
हर मोड़ पर नए चेहरे, नई बातें,
फिर भी लोग पूछ रहे हैं कि होली कब है?
दिलों में ख्वाहिशें, चेहरों पर नक़ाब,
हर रिश्ता अब बन गया है एक साज़िश का ख्वाब।
मौसम-ए-हयात खुद ही गुलाल सा बिखर रहा,
फिर भी लोग पूछ रहे हैं कि होली कब है?
हर बात में छलावा, हर वादा अधूरा,
रंग-ए-दोस्ती भी हो चला है फीका और अधूरा।
जो हर दिन बदलते हैं अपनी पहचान,
वो ही पूछते हैं कि होली कब है?
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