प्रेम और सिद्धांत...
प्रेम और सिद्धांत
मैं चाहता हूँ तुमसे प्रेम करना,
पर कर नहीं सकता।
मेरे कुछ सिद्धांत हैं,
मैं उनसे अलग नहीं हो सकता।
तुम मेरे सिद्धांतों के विपरीत हो,
मैं तुम्हारे साथ रह सकता हूँ,
पर तुमसे प्रेम नहीं कर सकता।
मैं यह भी जानता हूँ
कि इस सृष्टि में प्रेम से बढ़कर कोई सिद्धांत नहीं,
प्रेम के लिए कोई सिद्धांत नहीं चाहिए।
पर शायद मेरा मन अभी प्रेम के लिए
पूरी तरह समर्पित नहीं हुआ है।
क्योंकि मैं चाहकर भी
तुमसे प्रेम नहीं कर पा रहा हूँ।
उम्मीद है, तुम मेरी स्थिति समझोगी,
और मेरे संघर्ष की यात्रा का भी
महत्व जान पाओगी...
रूपेश रंजन
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