तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो...

 

तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो...

होली की मस्ती में रंगों का नशा,
तुम्हारी हसरत भरी आँखों का रस,
गुलाल सा बिखर जाऊं बाहों में तुम्हारी,
तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो।

लाल रंग तुम बनो, मैं पीला बन जाऊं,
इश्क़ की भीगी घटाओं में घुल जाऊं,
रंगों की इस बरसात में यूँ भीग दो,
तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो।

बदन पर उड़े जब गुलाबी गुलाल,
तेरी छुअन से लगे मदहोश ख़याल,
हर सांस महकती रहे रात भर,
तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो।

भीगे बदन पर जब रंग मुस्काए,
शर्म से लाली गालों पर छाए,
छुपते-छुपाते मुझे अपना बना लो,
तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो।

रंगों में भींगी ये होली की रात,
तेरा साथ और तेरा जज़्बात,
इश्क़ में सारा जहां भूल जाऊं,
तुम अपने गुलाबी होठों से मुझे रंग दो।

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