अनुभवों का सागर...

 

अनुभवों का सागर

रोज़ नए-नए रूप में मिलते हैं लोग,
हर मिलन संग लाते हैं अनुभवों का संयोग।
ना अच्छे, ना बुरे, बस बहेते हुए जल,
क्षणिक तरंगें, गूंजते नाद का हलचल।

कोई मेघ जैसा बरसता है नेह,
कोई धूप बन तपाता है देह।
कोई शीतल समीर सा सहलाता,
कोई झंझावात सा व्यथित कर जाता।

कोई शब्दों में मिश्री घोल देता,
कोई मौन से विष का पात्र भर देता।
कोई दृष्टि मात्र से ही मन को हरषाए,
कोई छाया बन भी दूर हट जाए।

कोई संकल्पों का दीप जलाता,
कोई विश्वास की लौ बुझाता।
कोई नेत्रों में सपनों के रंग भरता,
कोई आशाओं का वितान संवरता।

कोई कोमल भावनाओं को सहलाए,
कोई निर्मम वार कर उन्हें झुलसाए।
कोई प्रेम का संकल्प लिए आता,
कोई छल-छद्म का जाल बिछाता।

कभी मिलन मधुर गीत सा बजता,
कभी विदाई विषधरों सी डसता।
कभी संवाद दीपों सा टिमटिमाता,
कभी मौन अंधकार बन छा जाता।

कोई झरने सा बहता रहे,
कोई मरुस्थल सा सूखा झरे।
कोई जलता दीपक बन जाए,
कोई तमस की छाया बन जाए।

कोई शब्दों से रचता महल,
कोई मौन से कर दे विफल।
कोई गुरु सा ज्ञान दे जाए,
कोई भ्रमजाल में फंसा दे हृदय।

कभी अल्प परिचय भी निशान छोड़ जाए,
कभी गहरी पहचान भी धुंधला जाए।
कोई समय की धारा में विलीन हो जाए,
कोई स्मृतियों में सदा के लिए बस जाए।

संपर्कों की यह निराली कहानी,
हर पृष्ठ पर लिखी नई मनोदशा सुहानी।
कभी शीतल जल की तरह प्रवाहित,
कभी अग्नि सी जलती, अंतर्मन को आंदोलित।

रोज़ नए लोग आते-जाते,
नई अनुभूतियों की सौगात लाते।
ना दोष किसी का, ना गुणगान,
बस जीवन का यह अद्भुत अभियान।

कोई राजपथ पर संग चलता,
कोई अंधगली में अकेला छोड़ता।
कोई संबल बनकर उंगली पकड़ता,
कोई स्नेह का भ्रम रचकर बहलाता।

रंगमंच की इस लीला में हर पात्र नया,
हर संवाद भिन्न, हर अनुभूति सजीव और सजीवता अजय।
हर मिलन एक अध्याय लिख जाता,
हर विदाई एक रहस्य छोड़ जाता।

यह जीवन बस अनुभवों की शृंखला,
हर मोड़ पर खुलता एक नया पल्ला।
हर चेहरा एक दर्पण सा प्रतिबिंबित,
हर हृदय किसी गूढ़ कथा सा निहित।

तो मत ढूंढो उनमें अच्छाई-बुराई,
बस संजो लो हर अनुभूति की परछाई।
क्योंकि जीवन का सार यही बतलाता,
जो सीखा वही प्रकाश बन जाता।

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