तुम चलो, मैं बहूँ...

 

तुम चलो, मैं बहूँ


तुम चलो,

सधे क़दम, थमे हुए।

मैं बहूँ,

लहरों-सी, बेख़बर, खुले।


तुम्हारे पास सीढ़ियाँ हैं,

रास्ते, मंज़िलें, ठिकाने।

मैं बस एक लहर हूँ,

रूखी, बेकाबू, दीवाने।


तुम रुक सकते हो,

साँस ले सकते हो, ठहर सकते हो।

मुझे तो बस बहना है,

हर मोड़ पर, हर पहर बहना है।


तुम चाहते हो मैं थम जाऊँ,

ख़ुद को एक रूप में बाँध लूँ।

पर मैं नहीं रुकूँगी,

मैं दरिया हूँ, आज़ाद रहूँगी।


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