कल का डर अब दिल में नहीं...
"मर्कज़-ए-मौत की आज़माइश क्या,
आज ही आ जाए तो बेहतर है,
हमसे टकराने की हिम्मत कर,
कल का क्या, अब ही जौहर है।"
"हर साँस को हमने आग किया,
हर लम्हा जंग का इज़हार है,
हम वो नहीं जो झुक जाएं,
हमारी रग-रग में अंगार है।"
"कल का डर अब दिल में नहीं,
आज ही तख़्त उलट देंगे,
मौत अगर सामने आई,
तो हँसते-हँसते निगल देंगे।"
"ख़ौफ़ से नहीं, तूफ़ान से हैं हम,
कफ़न नहीं, बगावत पहनते हैं,
कभी लहरों से पूछ लेना,
हम किनारे नहीं, समंदर बनते हैं।"
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