जिस दिन डर मिटा दिल से...
"जिस दिन डर मिटा दिल से,
उसी रोज़ से हम जिंदा हैं,
ज़ंजीरों से खेलने वाले नहीं,
अब हाथों में परिंदा हैं।"
"लहू हमारा बेकार नहीं,
हर क़तरा आग उगलेगा,
जो चुप थे कल तक सब,
आज वो भी तख़्त हिलेगा।"
"तेरे कत्ल का सौदा नहीं,
इंकलाब का इरादा है,
हमने तूफानों से सीखा है,
क्या होता है वादा।"
"ना मंदिर, ना मस्जिद पूछेगा,
अब भूख सवाल करेगी,
जिसने पेट पर लात मारी,
हर गली बवाल करेगी।"
"सियासत की बिसात उलट दी है,
अब चालें नहीं चलती हैं,
हम वो सिपाही हैं ऐ मौत,
जो आँखों में मशालें रखते हैं।"
"क़लम को तलवार बना दिया,
अब लफ़्ज़ भी बारूद हुए,
जो हमें मिटाने चले थे कल,
आज वो खुद मरहूम हुए।"
"मौत से कैसी शिक़ायत हो,
वो भी हक़ है हर बग़ावत का,
हम तो वो तूफ़ान हैं जो,
चेहरा बदलते हैं क़यामत का।"
Very nice poem❤️
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