क्रांतिकारी कलाकार...
क्रांतिकारी कलाकार
हर क्रांति में छुपा है एक सपना,
कोई अधूरा चित्र, कोई अधूरी रचना।
आग नहीं सिर्फ़ जलाने को होती,
वो रोशनी भी है — नई सुबह की बोली।
क्रांतिकारी सिर्फ़ बंदूक नहीं उठाता,
वो विचारों की चिंगारी जलाता।
उसके हर शब्द में होती है कविता,
हर कदम में कोई नई व्यथा।
जब वो दीवारों पर नारे लिखता है,
वो दरअसल एक चित्रकार होता है।
जो रच रहा है इतिहास की नई छवि,
जहाँ इंसानियत हो सबसे ऊँची लिपि।
उसकी आँखों में कोई manifesto नहीं,
एक सपना होता है — और कुछ नहीं।
वो मिट्टी से, लहू से, आँसुओं से,
गढ़ता है एक दुनिया — नए उसूलों से।
हाँ, क्रांति में होता है रोमांच,
जैसे प्रेम में — अनकही पहचान।
और क्रांतिकारी,
वो होता है एक कलाकार —
जो लहू से लिखता है इंकलाब।
Marvelous! Brilliantly said in poetic form!
ReplyDeleteSuperb ♥️
ReplyDeleteExcellent sir
ReplyDelete