प्यार क्या है?
प्यार क्या है?
प्यार क्या है?
ये कोई सौगात नहीं, ना कोई सौदा,
ये तो वो जज़्बा है जो बिना कहे भी सब कुछ कह जाता।
प्यार है —
माली का फूल को हर सुबह सींचना,
धूप में झुलसते हुए भी हर कली में जीवन खींचना।
ना नाम का मोह, ना मेहनत की पहचान,
बस बगिया में खिलते रंगों में ढूँढना अपना अरमान।
प्यार है —
माँ की थाली में आख़िरी रोटी बचा लेना,
अपने हिस्से का निवाला भी बच्चों को खिला देना।
बुखार में भी मुस्कुरा के माथा सहलाना,
और ये कह देना — "मैं ठीक हूँ बेटा", बस आँचल में दर्द छुपाना।
प्यार है —
पिता का चुपचाप घर चलाना,
अपने जज़्बातों को जेब में दबा लेना।
खुद के फटे जूते में भी चल देना,
लेकिन बेटे को स्कूल भेजना नए जूतों में — बिना जताना।
प्यार है —
पत्नी का अपने सपनों को थाम लेना,
पति की राहों में फूल बिछा देना।
अपना नाम, अपनी पहचान खो देना,
पर उसका सहारा बन के हर तूफान को पार कर जाना।
प्यार है —
दादी की चुपचाप पराठा सेंकना,
और फिर बहाना बना कर खुद न खाना।
"बेटे के लिए है ये", कहकर मुस्कुराना,
बुढ़ी उँगलियों से प्रेम की रोटी बेल जाना।
प्यार है —
भाई का स्कूल से लड़ आना,
जब किसी ने बहन को आँसू में डुबो डाला हो।
ना कुछ कहना, ना कुछ सुनना,
बस उसकी रक्षा को अपना धर्म बना लेना।
प्यार है —
बहन का राखी में चुपचाप दुआओं का धागा बाँध देना,
भले ही भाई साल भर न आए — फिर भी हर बार प्रतीक्षा में रह जाना।
सुनसान शामों में उसका खत पढ़ लेना,
और मुस्कुरा कर आँसू पोछ लेना।
प्यार है —
दोस्त का बिना पूछे समझ जाना,
तेरी खामोशी में भी दर्द को सुन पाना।
खुद की परेशानी छुपा कर तेरे साथ हँस लेना,
और तुझे गिरते देख खुद टूट जाना।
प्यार है —
गुरु का हर बार डाँटना,
पर अंत में खुद की किताब से पन्ना फाड़ देना।
ताकि शिष्य आगे बढ़े, ऊँचाई छू ले,
और खुद ज़मीन पर रहकर गर्व से आसमान को देख ले।
प्यार है —
एक बेटा जो अपने बूढ़े माँ-बाप का सहारा बन जाता है,
जो दुनिया की भीड़ में उन्हें नहीं भूल जाता है।
खुद थक कर भी उनका सिर सहलाता है,
और कहता है — “आपका बेटा हूँ… हमेशा हूँ, यही हूँ।”
प्यार है —
एक बेटी जो शादी के बाद भी माँ की बातें याद रखती है,
जो हर त्यौहार पर माँ के हाथों का स्वाद ढूँढती है।
और चुपके से अपने घर में वही रिवाज़ सजाती है,
ताकि माँ को लगे — वो अब भी उसके पास है।
प्यार है —
एक बूढ़े पति का बीमार पत्नी को खाना खिलाना,
उसे कंघी करना, धीरे-धीरे चादर ओढ़ाना।
ना कोई शिकायत, ना कोई थकावट,
बस आँखों से कहना — “तेरे बिना अधूरा हूँ मैं, मेरी ताकत।”
प्यार क्या है?
ये कोई भाषा नहीं, कोई रिश्ता नहीं,
ये हर उस रिश्ते की नींव है जिसमें “स्वार्थ” नहीं।
ये देना जानता है — बिना माँगे, बिना बोले,
हर दर्द को मुस्कान में बदल देना — जैसे कोई फ़रिश्ते बोले।
प्यार —
माली हो या माँ,
पत्नी हो या पिता,
दादी, बहन, गुरु या सच्चा दोस्त,
हर किसी के अन्दर एक सागर है — बस बहना जानता है।
ना कोई मोल, ना कोई शर्त,
बस एक दिल से दूसरे दिल तक की सच्ची बात।
"प्यार वही है —
जो बदले में कुछ नहीं चाहता,
बस तुझे मुस्कुराते हुए देखना चाहता है..."
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