“सपनों का अंत आसमान में”: विमान हादसे में खोए मेडिकल छात्र
🕯️ “सपनों का अंत आसमान में”: विमान हादसे में खोए मेडिकल छात्र
12 जून 2025 का सूरज कई परिवारों के लिए कभी न उगने वाला अंधेरा लेकर आया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना होते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक हादसे ने सिर्फ यात्रियों को ही नहीं, बल्कि ज़मीन पर मौजूद उन मासूम मेडिकल छात्रों को भी लील लिया जो जीवन बचाने का सपना लेकर जी रहे थे।
🏥 डॉक्टर बनने का सपना… अधूरा रह गया
बी.जे. मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद के होस्टल में जब वह विमान गिरा, तब वहाँ छात्र सो रहे थे, कुछ पढ़ाई में व्यस्त थे, कुछ शायद ड्यूटी पर जाने की तैयारी कर रहे थे। किसी ने नहीं सोचा था कि एक विमान उनके सिर पर मौत बनकर टूट पड़ेगा।
इन छात्रों ने सालों की मेहनत की थी:
- दिन-रात की पढ़ाई,
- एंट्रेंस एग्ज़ाम का तनाव,
- हॉस्टल की सादगी,
- और माँ-बाप से दूर रहकर अपने भविष्य को संवारने की कोशिश।
लेकिन वे अपने सपनों के स्टेथोस्कोप तक नहीं पहुँच पाए।
💔 माता-पिता की चीखें और टूटती उम्मीदें
जिन माँ-बाप ने अपने बच्चों को डॉक्टर बनने के लिए भेजा था, उन्हें अब अस्पताल की चादरों में लिपटा उनका शव मिला।
किसी ने अपने इकलौते बेटे को खोया, किसी ने उस बेटी को खो दिया जो गाँव की पहली डॉक्टर बनने वाली थी।
- एक पिता ने कहा: “अब मैं किसके लिए जीऊँ?”
- एक माँ बार-बार चिल्लाती रही: “मेरी बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था?”
ये सवाल सिर्फ भावनात्मक नहीं हैं — ये इस तंत्र पर सवाल हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को रोक नहीं पा रहा।
🔥 सिर्फ शरीर नहीं, सपने जले
वह विमान सिर्फ ईंधन से नहीं भरा था, वह भविष्य से भरा था।
जिस हॉस्टल पर वह गिरा, वहाँ किताबें जलीं, लैपटॉप जले, मेडिकल फाइलें जलीं… और सबसे ज़्यादा, वे अधूरे सपने जलकर राख हो गए।
कोई सर्जन बनना चाहता था, कोई बाल रोग विशेषज्ञ, कोई कैंसर के मरीजों की सेवा करना चाहता था। ये वे युवा थे जो देश के स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ बनने वाले थे।
🧑⚕️ उनकी मौत, हम सबकी हार
इन छात्रों की मौत सिर्फ एक परिवार या एक कॉलेज की क्षति नहीं है, यह पूरे समाज की क्षति है।
- हर छात्र जो डॉक्टर बनता है, वह एक गांव की उम्मीद बनता है।
- हर डॉक्टर जो तैयार होता है, वह सैकड़ों जिंदगियों को रोशनी देता है।
इन बच्चों की मौत ने वह उजाला बुझा दिया।
🙏 एक श्रद्धांजलि, एक सवाल
हम सिर्फ मोमबत्तियाँ जलाकर, दो मिनट का मौन रखकर इनकी याद नहीं मना सकते।
हमें पूछना होगा—
- क्या विमान की जांच ठीक से हुई थी?
- क्या रूट में तकनीकी दिक्कत की जानकारी थी?
- क्या ज़मीन पर इतनी बड़ी इमारत की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम था?
श्रद्धांजलि तभी पूरी होगी जब हम ऐसे हादसों को दोहरने से रोक सकें।
✍️ निष्कर्ष: यादों में जिंदा रहेंगे वे डॉक्टर
वे आज नहीं हैं, लेकिन उनका जुनून, उनका समर्पण, उनकी आंखों में चमक — हमें प्रेरणा देती रहेगी।
उनके नाम पर यदि कोई छात्रवृत्ति बने, कोई वार्ड बने, कोई अस्पताल में स्मारक बने — तो शायद अगली पीढ़ी को यह एहसास हो सके कि एक डॉक्टर का सपना टूटने का मतलब सिर्फ एक जिंदगी नहीं, सैकड़ों का भविष्य खो देना होता है।
ईश्वर उन सभी आत्माओं को शांति दे। हम नमन करते हैं उन भविष्य के डॉक्टरों को, जिन्होंने हमें यह सिखा दिया कि सपने कितने कीमती होते हैं… और ज़िंदगी कितनी नाजुक।
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