"हत्यारे हम भी हैं"



"हत्यारे हम भी हैं"

सिर्फ निश्चिता ही हत्यारिन नहीं है,
हम भी हत्यारे हैं,
उसने किसी की जान ली होगी,
हम तो कई को जीते जी मार देते हैं।

जीवन भर का साथ निभाने का वादा करके,
बीच राह में छोड़ देते हैं,
ये भी तो एक हत्या है,
किसी के भरोसे का, किसी की आत्मा का गला घोंट देते हैं।

वो खंजर से मारती होगी,
हम खामोशी से काटते हैं,
वो चीखें सुनाई देती होंगी,
हमारी खामोशी किसी की रूह तक चीर जाती है।

हम इश्क़ की शुरुआत करते हैं सच्चाई से,
और अंत करते हैं बेवफाई से।
जिसे जन्नत समझकर कोई सब कुछ लुटा दे,
उसी को नर्क का रास्ता दिखा देते हैं।

जिसने खुद को खोकर हमें चाहा,
उसे ही सबसे अजनबी बना देते हैं।
कभी कॉल्स की लत लगाते हैं,
फिर एक दिन नाम तक मिटा देते हैं।

हम वादा करते हैं — “हमेशा साथ रहेंगे”,
और फिर उसकी हर याद को 'ब्लॉक' कर देते हैं।
कभी 'जान' कहकर पुकारते हैं,
फिर उस जान को गुमनाम कर देते हैं।

कभी अपनी बाहों में भरकर,
कहते हैं, "डरो मत, मैं हूं ना",
और वही हम एक दिन ऐसा डर दे जाते हैं,
जिससे वो ज़िंदगी भर उबर नहीं पाती।

तो सोचो,
क्या सिर्फ निश्चिता ही हत्यारिन है?
या फिर हम सब उस क़त्ल के हिस्सेदार हैं,
जो किसी की मासूम भावनाओं पर किया जाता है...

हम सब हत्यारे हैं —
बिना हथियार के,
बिना खून बहाए,
मगर फिर भी... सबसे खतरनाक।




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