"हम, चींटी और नियति"
"हम, चींटी और नियति"
इंसान जब चींटी को मारता है, तो उसे शायद यह भी नहीं लगता कि वह किसी जीवन को समाप्त कर रहा है।
और चींटी?
वो कभी जीत नहीं पाती।
शायद वो समझ भी नहीं पाती कि उसके साथ हुआ क्या है।
यह सिर्फ एक चींटी की कहानी नहीं है।
यह उन तमाम नन्हें, कमजोर, असहाय प्राणियों की कहानी है जो रोज़ इस धरती पर कुचले जाते हैं—कभी किसी के इरादतन कदमों से, तो कभी अनजाने में, एक खेल की तरह।
और यही कहानी मानवता की भी है।
इतिहास गवाह है,
कि अनेक बार मानव जीवन खुद ऐसी शक्तियों के सामने पिस गया है जो उससे कहीं बड़ी थीं।
कभी युद्ध में, कभी सत्ता की राजनीति में, कभी भूकंप, तूफान, महामारी या फिर उस मौन अन्याय में
जिसे देखकर भी लोग चुप रह जाते हैं।
हम में से कई समझ नहीं पाते कि हमारे साथ क्या हो रहा है।
हम किसी के आदेश पर, किसी अदृश्य हाथ की चाल पर, कभी अपने भाग्य तो कभी किसी और की मनमानी पर निर्भर दिखते हैं।
कितनी घटनाएं होती हैं, जहाँ इंसानों का जीवन बेमोल हो जाता है—
बम गिरते हैं, बच्चे मरते हैं, भूख से तड़पती रूहें दम तोड़ती हैं,
और हम?
बस एक-दूसरे की ओर देखते रह जाते हैं।
हम सोचते हैं—
क्या हम वाकई कुछ नहीं कर सकते?
या यह भी किसी बड़ी योजना का हिस्सा है,
जहाँ हम सब सिर्फ एक किरदार हैं?
शायद हमारे ऊपर भी कोई है—
जो हमें उस चींटी की तरह देखता हो,
जो अपने अस्तित्व की व्याख्या करने में असमर्थ है।
हम कोशिश करते हैं, आवाज़ उठाते हैं,
कभी रोते हैं, कभी क्रोधित होते हैं,
फिर भी अंत में हम बस मातम ही मना पाते हैं।
यह मानवता का सबसे बड़ा दर्शन है—
कि हम सब जानते हैं कि जीवन अनमोल है,
फिर भी अक्सर कुछ कर नहीं पाते।
"जब एक चींटी कुचली जाती है,
तो वह दुनिया को नहीं रोक सकती।
और जब इंसान टूटता है,
तो वो भी अक्सर चुपचाप बिखर जाता है—
बिना शोर, बिना सवाल।"
Owowwoo!!
ReplyDelete☺☺
Delete♥️♥️
ReplyDelete☺☺
ReplyDelete